मदनगंज-किशनगढ़ | मदनगंज स्थापना के समय यहां एक भी जैन परिवार नहीं रहता था। तत्कालीन शासक ने चांदी के व्यापारी को यहां व्यापार का न्यौता दिया। लेकिन व्यापारी ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यहां जैन मंदिर नहीं है और वह बिना भगवान की प्रतिमा के दर्शन के व्यापार तो दूर की बात वह अन्न जल भी ग्रहण नहीं करते। इस पर उन्होंने यहां जैन मंदिर के लिए जमीन दी और व्यापार करने के राजी किया। तब जाकर व्यापारी ने यहां व्यापार के लिए हामी भरी। इसके बाद व्यापारी ने यहां तेली मोहल्ले में चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर की नींव रखी और यहां व्यापारिक कार्य शुरू किए।श्रीचन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर के व्यवस्थापक एवं मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र दगड़ा ने बताया कि इस जैन मंदिर का निर्माण चांदी व्यापारी हरकचंद शिखर चंदजी पाटनी (रूपनगढ़ वाले) ने तकरीबन 125 वर्ष पहले करवाया था। यहां मदनगंज बसने के समय यहां ना तो कोई जैन मंदिर था और ना ही कोई जैन परिवार निवास करता था। मूलत: रूपनगढ़ एवं लखनरू के चांदी के व्यापारी हरकचंद पाटनी का मदनगंज आना हुआ। इस दौरान उनकी किशनसिंह से मुलाकात हुई और बातचीत में उन्होंने हरकचंद पाटनी परिवार को यहां रहने और व्यापार करने का निमंत्रण दिया। इस पर उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यहां आस-पास एक भी जैन मंदिर नहीं है और वह भगवान के दर्शन और पूजन से पहले ना तो कुछ ग्रहण करते है और ना ही कोई काम शुरू करते है। इस पर किशनसिंह ने उन्हें मंदिर निर्माण के लिए नाममात्र की राशि पर जमीन दे दी। इसके बाद व्यापारी हरकचंद ने यहां पर मंदिर निर्माण करवाया। बाद में उन्होंने यहां व्यापार भी किया।

– भगवान के पांचों कल्याणक का है चित्रांकन

सवा सैतीस फीट ऊंचा है जैन मंदिर का मानस्तम्भ

– चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर का युद्ध स्तर पर जीर्णोद्वार कार्य

– तत्कालीन शासक के न्यौते पर सेठ ने किया था यहां व्यापार शुरू

वर्ष 2013 से शुरू हुआ नवनिर्माण

वर्ष 2013 के अप्रेल माह में आर्यिका 105 श्रीस्यादवाद मती की प्रेरणा और आशीर्वाद से उन्हीं के कर कमलों से सफेद संगमरमर से मंदिर का नव निर्माण कार्य (जीर्णोद्वार) शुरू हुआ।


मंदिर के सामने एक सवा 37 फीट ऊंचा मान स्तम्भ भी बनाया गया है। इसमें भगवान के पांचों कल्याणक का चित्रांकन किया गया है। मंदिर निर्माण में राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उड़ीसा के कारीगर कार्य कर रहे है। यह पूरा मंदिर सफेद मार्बल का बनाया जा रहा है।

व्यवस्थापक सुरेन्द्र दगड़ा ने बताया कि 10 जून 20 को पंच कल्याणक कार्यक्रम शुरू होगा और 15 जून तक चलेगा। कार्यक्रम तय होने से 10 जून तक मंदिर निर्माण का कार्य पूरा किया जाना भी तय है।

मंदिर का ट्रस्ट किया रजिस्ट्रर्ड हरकचंद पाटनी ने ट्रस्ट बनाकर मंदिर की पूरी व्यवस्था ट्रस्ट को सौंप दी।लेकिन मन्दिर का ट्रस्ट वर्ष 1956 में रजिस्टर्ड हुआ । इसके बाद से ही इस ट्रस्ट ने मंदिर की देखरेख का जिम्मा ले लिया।
(साभार-राजस्थान पत्रिका किशनगढ़
फोटो-संदीप)